कॉफी दुनिया भर में किस तरह से लोकप्रिय हुई, यह कहानी बेहद दिलचस्प है। इंटरनेशनल कॉफी ऑर्गनाइजेशन केअनुसार, कॉफी की शुरुआत अरब देशों से हुई। यमन में पंद्रहवीं सदी के आसपास इसके पौधों की खेती की जाती थी। वैसे, अरब के व्यापारी किसी उर्वर बीज का व्यापार नहीं करते थे।
गौरतलब है कि कॉफी के बीन्स ही कॉफी के बीज होते हैं। जब इनके बाहरी हिस्से को उतार दिया जाता है, तो ये बीज उर्वर नहीं रह जाते। इस तरह, काफी समय तक कॉफी अरब देशों तक ही सीमित हो गई। वे डच थे, जो कॉफी को इन देशों से निकालकर हॉलैंड लाए। एशिया और भारत में भी कॉफी को लाने का श्रेय डच व्यापारियों को ही जाता है।
अरब के लोग शुरुआती समय में कॉफी के स्वाद से परिचित नहीं थे। कॉफी के प्रभाव का अंदाजा उन्हें तब हुआ, जब जानवरों ने इन पौधों को चरना शुरू किया। दरअसल, वे कॉफी के बीज खाने के बाद कुछ अजीब सी हरकतें करने लगते थे। उस समय आमतौर पर कैट नामक झाडी का प्रयोग स्टीमुलेंट के रूप में प्रयोग होता था। लेकिन जल्द ही इसका साइड इफेक्ट पता चला, जो काफी नुकसानदेह था।
जब लोगों को पता चला कि कॉफी के बीजों का भी स्टीमुलेंट की तरह प्रयोग हो सकता है, तो उन्होंने इनका सेवन करने में बिल्कुल देर नहीं की। हां, उस समय लोग इसे कॉफी नहीं, गहवा कहते थे। कहते हैं गहवा इसलिए पॉपुलर हुआ, क्योंकि इस्लाम में नशीले पदार्थो की मनाही थी और गहवा में इसकी भरपाई करने का सारा गुण था।
लगभग ग्यारहवीं सदी के आसपास कॉफी सेवन को बढावा देने के लिए कॉफी हाउसेस बनने लगे, जहां लोग कॉफी पीने के लिए इकट्ठा होते थे। जबकि ये स्थान विचारशील लोगों के विचार विनिमय और बहस मुबाहिसों के लिए लोकप्रिय होने लगे। इसका परिणाम यह हुआ कि अरब समाज में एक तरह से सकारात्मक बदलाव पैदा हुआ। और इस तरह, कॉफी की प्रतिष्ठा में खूब इजाफा हुआ।
लगभग सोलहवीं सदी के आसपास इसकी खुशबू यूरोपीय देशों में भी फैलने लगी। हालांकि हर नई चीज की तरह कॉफी सेवन को लेकर भी तरह-तरह की अफवाहें सुनी जातीं। इसे कई नामों से नवाजा गया। कुछ इसे बाइटर इनवेंशन कहते। इन विवादों से दूर 1652 के आसपास यूरोप में पहला कॉफी हाउस बना। इसे पेनी यूनिवर्सिटीज कहा गया। पेनी इसलिए क्योंकि वहां एक पेनी यानी पैसा देने के बाद ही एक कप कॉफी मिलती थी।
सत्रहवीं सदी के मध्य में कॉफी की खुशबू अमेरिकी देशों में भी फैलने लगी। चाय से ज्यादा लोग कॉफी को पसंद करने लगे। आज दक्षिण अमेरिकी देश ब्राजील कॉफी इंडस्ट्री का गढ है। कॉफी हाउसेस के बनने और कॉफी के उत्पादन और इसकी गुणवत्ता को बढाने का प्रयास जारी है। व्यापार के लिए तेल के बाद कुछ बहुमूल्य उपयोगी वस्तुओं में कॉफी का स्थान सबसे ऊपर है। दिन की शुरुआत करना हो या थकावट से निजात पाने के लिए कॉफी हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है।
जेजे टीम
अरब के लोग शुरुआती समय में कॉफी के स्वाद से परिचित नहीं थे। कॉफी के प्रभाव का अंदाजा उन्हें तब हुआ, जब जानवरों ने इन पौधों को चरना शुरू किया। दरअसल, वे कॉफी के बीज खाने के बाद कुछ अजीब सी हरकतें करने लगते थे।
शनिवार, 19 सितंबर 2009
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