शुक्रवार, 18 सितंबर 2009

ऐसे रखें नवरात्र का व्रत

शनिवार से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। पूरे देश में मां दुर्गा और काली पूजा की तैयारियां जोरों पर हैं। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व पर हम व्रत रखकर मां के नौ अलग-अलग रूप की पूजा करते हैं। इस दौरान घर में किया जाने वाला हवन भी स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभप्रद है। हवन से आत्मिक शांति और वातावरण की शुद्धि के अलावा घर में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं का भी नाश होता है।
कुछ लोग नौ दिन व्रत रखकर देवी की आराधना करते हैं जबकि कई श्रद्धालु पहले और आखिरी दिन व्रत रहते हैं। धार्मिक महत्व के अलावा व्रत का वैज्ञानिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी महत्व है। व्रत से शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी रहती है। पाचन तंत्र को भी आराम मिलता है। बीमार लोगों को अपने डाक्टर की सलाह के अनुसार ही उपवास रखना चाहिए। विशेष तौर पर डायबिटीज के मरीज को। गर्भवती महिलाएं व्रत न रहे तो ही ठीक। व्रत स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है बशर्ते कुछ बातों का ध्यान रखा जाए।
उपयोगी सलाह
-व्रत के दौरान सुबह शाम प्राणायाम करें।
-व्रत के दौरान अधिक बातचीत न करें।
-व्रत के शुरुआत में भूख काफी लगती है। ऐसे में पानी में नींबू और शहद डालकर पिया जा सकता है। इससे भूख को नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी।
-निर्जला उपवास न रखें। इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है और अपशिष्ट पदार्थ शरीर के बाहर नहीं आ पाते। इससे पेट में जलन, कब्ज, संक्रमण, पेशाब में जलन जैसी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
-एक साथ खूब सारा पानी पीने के बजाए दिन में कई बार नींबू वाला पानी पिएं।
-उपवास में अक्सर कब्ज की शिकायत हो जाती है। इसलिए व्रत शुरू करने के पहले चौलाई, त्रिफला, आंवला, पालक का सूप या करेले के रस का सेवन करें। इससे पेट साफ रहता है।
-व्रत के दौरान चाय, काफी का सेवन काफी बढ़ जाता है। इस पर नियंत्रण रखें।
क्या खाएं
-व्रत में अन्न का सेवन नहीं किया जाता। इससे शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है। अनाज की जगह फलों व सब्जियों का सेवन किया जा सकता है। इससे शरीर को जरुरी ऊर्जा मिल जाती है।
-सुबह के समय आलू को देशी घी में फ्राई करके खाया जा सकता है। आलू में कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इस लिए आलू खाने से शरीर को ताकत मिलती है।
-सुबह एक गिलास दूध पिएं। दोपहर के समय फल या जूस लें। शाम को चाय पी सकते हैं। कई लोग व्रत में एक बार ही भोजन करते हैं। ऐसे में एक निश्चित अंतराल पर फल खा सकते हैं।
-रात के खाने में कुट्टू या सिंघाड़े के आटे से बनी पूरी, पकौड़ी और चीले बना सकते हैं।

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